निर्यातबंदी हटाने के बाद महाराष्ट्र में प्याज के दाम बना रहे रिकॉर्ड

3 months ago 36567

निर्यातबंदी खत्म करने के बाद महाराष्ट्र में प्याज (Onion) के दाम रिकॉर्ड बना रहे हैं। बेहतर कीमत से किसान खुश है लेकिन लोकसभा चुनाव में प्याज की मार खाएं नेताओं के आंसू अब निकल रहे हैं।

महायुति (शिवसेना-भाजपा-राकांपा) गठबंधन को नासिक समेत राज्य के प्याज उत्पादन क्षेत्र में किसानों के असंतोष की कीमत चुकानी पड़ी जहां सत्तारूढ़ गठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा।

लोकसभा चुनाव से पहले प्याज के दाम काबू में करने के लिए सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके कारण प्याज दाम गिरे और किसानों ने नाराजगी व्यक्त की थी। हालांकि किसानों की नाराजगी को देखते हुए सरकार ने आम चुनाव के बीच ही प्याज का निर्यात खोल दिया था।


इस साल के अंत में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव

निर्यातबंदी हटने से अब राज्य की सभी मंडियों में इस समय वह दाम मिलने लगा है, जिसकी किसान मांग कर रहे थे। बस उन्हें डर है कि कहीं सरकार फिर प्याज की निर्यातबंदी न कर दे। हालांकि लोकसभा के चुनाव परिणामों को देखते हुए फिलहाल सरकार यह कदम उठाने के पहले दस बार सोचेगी। क्योंकि इस साल के अंत में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होने हैं।

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में राज्य में सत्तारूढ़ महायुति के खराब प्रदर्शन के कारणों में प्याज के कम दाम समेत इससे जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर किसानों में असंतोष का मुद्दा भी शामिल रहा।

शिवसेना-भाजपा-राकांपा के गठबंधन को नासिक समेत राज्य के प्याज उत्पादन क्षेत्र में किसानों के असंतोष की कीमत चुकानी पड़ी जहां सत्तारूढ़ गठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा।

पवार ने कहा कि वे प्याज के लिए समर्थन मूल्य की जरूरत के बारे में लगातार बोल रहे हैं और किसानों तथा उपभोक्ताओं, दोनों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए। महायुति को जलगांव और रावेर को छोड़कर प्याज उत्पादक पट्टी के सभी लोकसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी इस बात स्वीकार कर चुके हैं कि किसानों की नाराजगी महायुति गठबंधन के खराब प्रदर्शन का कारण रही। शिंदे ने कहा कि नासिक में हमें प्याज ने रुलाया, मराठवाड़ा और विदर्भ में सोयाबीन और कपास ने रुलाया।

खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र द्वारा पिछले साल दिसंबर में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कारण किसानों ने, खासकर नासिक क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया। अंततः मई की शुरुआत में प्रतिबंध हटा लिया गया था।

शिवसेना और उसकी सहयोगी भाजपा क्रमश: नासिक और डिंडोरी लोकसभा सीट पर हार गए। गठबंधन को मराठवाड़ा में केवल एक सीट और विदर्भ में केवल दो सीट पर जीत मिली।


शिवसेना-भाजपा-राकांपा के गठबंधन को नासिक समेत राज्य के प्याज उत्पादन क्षेत्र में किसानों के असंतोष की कीमत चुकानी पड़ी जहां सत्तारूढ़ गठबंधन का प्रदर्शन खराब रहा।