लोकसभा चुनाव: पंजाब में गूंज रहा पाकिस्तान से व्यापार का मसला, सभी दल कर रहे मतदाताओं से वादे

4 months ago 58981

अमृतसर की व्यस्त सड़कों पर होने वाली विदेश नीति संबंधी बहसों की गूंज सत्ता के गलियारों से आगे निकल गई है। अब इसकी प्रतिध्वनि लोक सभा चुनाव में सुनाई पड़ रही है। स्वर्ण मंदिर के पास एक थोक विक्रेता ने इस मुद्दे को मोड़ देते हुए कहा, ‘राज्य से हर साल सबसे ज्यादा लोग विदेश जाते हैं। इसलिए यहां विदेश नीति से जुड़े मसले बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। हालांकि, विदेश नीति का एक पहलू जो पंजाब को प्रभावित कर रहा है, वह है पाकिस्तान के साथ व्यापार।’

वर्ष 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत का पाकिस्तान के साथ व्यापार बहुत तेजी से कम हुआ है। भारत ने पाकिस्तान को दिया गया सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया था और पाकिस्तानी उत्पादों पर 200 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ही जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35(ए) को हटा दिए जाने के बाद हालात और भी खराब हो गए।

पाकिस्तान भी भारत के साथ दोबारा व्यापार शुरू करने को लेकर अनिश्चितता में फंसा है। इस साल 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस पर उसके विदेश मंत्री इशाक डार ने ऐलान किया कि सरकार भारत के साथ व्यापार संबंधों को पुन: बहाल करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि कुछ दिन बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने स्पष्ट किया कि भारत के साथ व्यापार शुरू करने संबंधी किसी योजना पर अभी विचार नहीं किया जा रहा है।

पाकिस्तान के साथ व्यापार का मुद्दा पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से उठा है। भाजपा के अमृतसर प्रत्याशी तरणजीत सिंह संधू समेत कई उम्मीदवार लोगों से वादा कर रहे हैं कि वे अटारी-वाघा के रास्ते पाकिस्तान के साथ व्यापार दोबारा शुरू कराएंगे। संधू ने यहां तक भी सुझाव दिया कि पाकिस्तान से आने वाले या वहां भेजे जाने वाले सामान के लिए दुबई को ट्रांजिट प्वाइंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के घोषणा पत्र में भी पाकिस्तान के साथ व्यापार के मुद्दे का जिक्र किया गया है। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सवाल उठाया कि पाकिस्तान के साथ व्यापार गुजरात के बंदरगाह से हो सकता है तो पंजाब के सड़क मार्ग से क्यों नहीं? अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए उन्होंने कहा कि हम पड़ोसी देशों के साथ व्यापार दोबारा शुरू करने की मांग जोर-शोर से उठाएंगे।

पाकिस्तान के साथ व्यापार बाधित होने का असर पंजाब के कारोबार पर भी पड़ा है। यहां पाकिस्तानी सूट और सलवार बहुत लोकप्रिय हैं। हालांकि ऐसे बहुत से आइटम अब दुबई के रास्ते पंजाब आते हैं। अमृतसर के पुराने शहर में गुलाटी क्रिएशंस के मालिक कहते हैं, ‘दुबई के रास्ते माल आने के कारण इसकी कीमत काफी बढ़ जाती है, जिसका पूरा भार ग्राहक की जेब पर डाला जाता है। कम आमदनी वाले लोग इससे बुरी तरह प्रभावित होते हैं।’

पाकिस्तान के साथ व्यापार जारी है, अलबत्ता इसकी ढुलाई लागत बहुत बढ़ गई है। आईसीआरआईईआर में प्रोफेसर निशा तनेजा के अनुसार, ‘पाकिस्तान के साथ कारोबारी लेनदेन समुद्री मार्ग से होता है। वित्त वर्ष 2024 में कारोबार में काफी वृद्धि होने के बावजूद पंजाब में अटारी-वाघा में रेल और सड़क मार्ग से व्यापार 2019 के बाद से बंद है।’

मगर कुछ लोग इस मसले पर बंटे हैं। फेडरेशन ऑफ किराना ऐंड ड्राईफ्रूट कमर्शियल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मेहरा का कहना है, ‘यह व्यापार पहली बार धारा-370 निरस्त होने के बाद पाकिस्तान ने बंद किया था। उसके बाद भारत ने ऊंचा शुल्क लगा दिया। हमारे लिए कारोबार से ज्यादा महत्त्वपूर्ण देश है।’ उनका मानना है भारत और पाकिस्तान दोनों को मिलकर व्यापार को लाभकारी बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है।

वह कहते हैं, ‘रोजाना दोनों देशों की सीमा से 500 ट्रक पार होते हैं। इसमें अन्य लोगों के अलावा बड़ी संख्या में मजदूर और परिवहन से जुड़े लोग शामिल होते हैं। भारत से ज्यादा पाकिस्तान प्रभावित हुआ होगा क्योंकि वहां अपेक्षाकृत महंगी चीजें भारत से आयात की जा सकती हैं।’

प्रदेश के किसानों का भी मानना है कि कारोबार संबंधों को फिर से बहाल करना देश और राज्य दोनों के लिए फायेदमंद होगा। उनका तर्क है कि कृषि प्रधान राज्य होने के कारण पंजाब को व्यापार से काफी फायाद मिलेगा।

किसान गुरुचरण सिंह का कहना है, ‘देखिए, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के पास हमारी जितनी उपजाऊ भूमि नहीं है। इसलिए अगर अटारी बॉर्डर के जरिये खाद्यान्न भेजा जाता है तो यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा। अमृतसर से अटारी बॉर्डर करीब 15 किलोमीटर दूर है, लेकिन हमें अपनी उपज एक बड़ा हिस्सा गुजरात के बंदरगाहों पर भेजना पड़ता है और फिर वहां से इन देशों को भेजा जाता है। इसके अलावा, भू-राजनीतिक तनावों ने इस समुद्री मार्गों को भी असुरक्षित बना दिया है।’

पाकिस्तान के व्यापार संबंध भी जालंधर में खेल उद्योग के बीच बहस का हिस्सा रहे हैं। जालंधर का खेल उद्योग कई मुद्दों से जूझ रहा है जबकि पाकिस्तान ने बीते कुछ वर्षों में अपना कद बढ़ाया है। फीफा (फुटबॉल) विश्वकप 2022 में उपयोग की जाने वाली अधिकतर गेंदें वहीं बनी थीं। जालंधर के खेल का सामान बेचने वाले दुकानदार ने कहा, ‘यदि बॉर्डर के जरिये व्यापार संबंध फिर से बहाल हो जाते हैं तो उद्योग को सही मायने में बढ़ावा मिलेगा।’


केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ही जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35(ए) को हटा दिए जाने के बाद हालात और भी खराब हो गए।