भारत का प्रस्तावित यूरोपीय यूनियन (EU) जैसा प्रतिस्पर्धा कानून ऐपल (Apple), गूगल (Google) और मेटा (Meta) जैसी टेक कंपनियों के लिए एक नई नियामक चुनौती पेश करेगा, जिसमें कड़े अनुपालन दायित्व होंगे जो उनके व्यापार मॉडल को प्रभावित कर सकते हैं।
भारत सरकार वर्तमान में फरवरी में एक पैनल की रिपोर्ट की समीक्षा कर रही है जिसमें मौजूदा प्रतिस्पर्धा कानूनों के पूरक के रूप में एक नए “डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक” का प्रस्ताव किया गया है। एक प्रमुख अमेरिकी लॉबी समूह ने पहले ही इस कदम का विरोध किया है, इसके व्यापारिक प्रभावों को लेकर चिंता जताई है।
प्रस्तावित कानून के प्रमुख बिंदु:
कानून किस पर लागू होगा?
यह कानून उन “सिस्टमेटिकली सिग्निफिकेंट डिजिटल” कंपनियों पर लागू होगा जिनका घरेलू कारोबार 48 करोड़ डॉलर से ज्यादा या ग्लोबल कारोबार 30 अरब डॉलर से अधिक है, और जिनकी स्थानीय उपयोगकर्ता संख्या (local user base) कम से कम 1 करोड़ है। Apple, Google, Meta और Amazon जैसी कंपनियां इस कानून के दायरे में आएंगी, जिसे अभी संसद द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है।
भारत को नया प्रतिस्पर्धा कानून क्यों चाहिए?
सरकारी पैनल ने कहा कि नए नियमों की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि डिजिटल बाजार का केंद्रीयकरण बढ़ रहा है, जिसमें कुछ बड़ी कंपनियां “बाजार पर अत्यधिक नियंत्रण” कर रही हैं। इससे छोटे डिजिटल फर्मों और स्टार्टअप्स को बड़ी कंपनियों पर निर्भर होना पड़ता है, जिससे “डील के लिए मोल-भाव करने की शक्ति में असंतुलन” पैदा होता है।
नए कानून में क्या आवश्यकताएं होंगी?
कंपनियों को निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से काम करना होगा, और नियमों के उल्लंघन पर EU का डिजिटल मार्केट्स एक्ट की तर्ज पर कंपनी के ग्लोबल बिजनेस का 10 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
बड़ी डिजिटल कंपनियों को गैर-सार्वजनिक उपयोगकर्ता डेटा का इस्तेमाल करने और अपने प्लेटफार्मों पर अपने उत्पादों या सेवाओं को प्राथमिकता देने से मना किया जाएगा।
कंपनियों को उपयोगकर्ताओं को थर्ड-पार्टी ऐप्स को डाउनलोड, इंस्टॉल या उपयोग करने की क्षमता को किसी भी तरह से प्रतिबंधित करने से मना किया जाएगा। और उन्हें उपयोगकर्ताओं को स्वतंत्र रूप से डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स का चयन करने की अनुमति देनी होगी।
प्रस्तावित कानून और प्राप्त फीडबैक की समीक्षा अब कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा की जाएगी। लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद मोदी सरकार ने एक बार फिर से निर्माला सीतारमण पर विश्वास जताया है। वह इस मंत्रालय का कार्यभार एक बार फिर से संभाल रही है।
ये टेक कंपनियां पहले से ही है भारतीय एजेंसियों की रडार पर
भारत में, Amazon और Walmart के मालिकाना हक वाली Flipkart की जांच की जा रही है कि वे अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर चुनिंदा विक्रेताओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिस्पर्धियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
Google पर एंटीट्रस्ट जुर्माने लगे हैं और वह Android मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोपों पर कानूनी लड़ाई लड़ रहा है, जिसमें उपयोगकर्ताओं की पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स को हटाने की क्षमता को प्रतिबंधित करना शामिल है।
Google और Apple दोनों की जांच इस बात के लिए भी हो रही है कि वे अपने इन-ऐप खरीद प्रणाली को बढ़ावा दे रहे हैं, जो एक गैर-लाभकारी समूह का आरोप है कि इससे प्रतिस्पर्धियों को नुकसान होता है।
सभी कंपनियों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।