Supreme Court ने केजरीवाल को दी शर्त पर अंतरिम जमानत, तिहाड़ से निकलने पर भगवान हनुमान पर क्या बोले

6 months ago 111870

सर्वोच्च न्यायालय ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक के लिए सशर्त अंतरिम जमानत दे दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में उनके ​खिलाफ मामला दर्ज किया था और वह 50 दिन से न्यायिक हिसरात में थे।

अदालत से अंतरिम जमानत मिलने के कुछ घंटों के अंदर केजरीवाल को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। तिहाड़ से बाहर निकलते ही केजरीवाल ने कहा, ‘भगवान हनुमान की वजह से मैं बाहर आया हूं, शनिवार को हनुमान मंदिर जाऊंगा। हमें देश को तानाशाही से बचाना है, अपनी पूरी ताकत से लड़ूंगा लेकिन 140 करोड़ लोगों का समर्थन चाहिए।’

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि केजरीवाल जमानत पर रहते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के दफ्तर और दिल्ली सचिवालय में कदम भी नहीं रखेंगे और तब तक सरकारी फाइलों पर दस्तखत नहीं करेंगे, जब तक उप राज्यपाल की मंजूरी पाने के लिए वह जरूरी नहीं हो। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह इस मामले में अपनी भूमिका पर कुछ नहीं बोलेंगे और न ही किसी गवाह से मिलेंगे। वह इस मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल के आसपास भी नहीं जाएंगे।

लोक सभा चुनाव के बाकी चरणों में प्रचार के लिए केजरीवाल को 21 दिन के लिए रिहा करते हुए न्यायालय ने कहा कि उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करना होगा।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता के पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि आम चुनाव लोकतंत्र को जीवंतता प्रदान करते हैं। अदालत ने ईडी की यह दलील खारिज कर दी कि चुनाव प्रचार के लिए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना इस देश के आम नागरिकों की तुलना में राजनेताओं को फायदा देने जैसा होगा।

पीठ ने कहा, ‘अंतरिम जमानत/रिहाई देने के सवाल पर विचार करते समय अदालतें हमेशा संबंधित व्यक्ति से जुड़ी विशिष्टता और आसपास की परिस्थितियों को ध्यान में रखती हैं। सही मायने में इसे नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण और गलत होगा।’  अदालत ने कहा कि 18वीं लोक सभा के आम चुनाव हो रहे हैं और इस दौरान ज्यादा व्यापक और उदार दृ​ष्टिकोण उचित है।

अदालत ने कहा, ‘याची (अरविंद केजरीवाल) दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता हैं। इसमें संदेह नहीं है कि उन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं मगर उन्हें अभी दोषी नहीं ठहराया गया है। उनका कोई आपरा​धिक इतिहास भी नहीं है और न ही वह समाज के लिए खतरा हैं।’

अदालत ने जिक्र किया कि मौजूदा मामले में जांच अगस्त 2022 से चल रही है और केजरीवाल को इस साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि गिरफ्तारी की वैधता को भी इस अदालत में चुनौती दी गई है और इस मामले में अभी अंतिम आदेश नहीं आया है।

केजरीवाल को 50,000 रुपये के जमानती बॉन्ड और जेल अधीक्षक की संतु​ष्टि के लिए इतनी ही रा​शि का मुचलका भरना होगा। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च, 2024 को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह हिरासत में थे।

शीर्ष अदालत ने 3 मई को सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह केजरीवाल को लोक सभा चुनावों के लिए अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकती है। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी की ओर से अदालत में केजरीवाल की जमानत का विरोध किया और कहा कि ईडी के पास केजरीवाल के ​खिलाफ ‘सबूत’ हैं और अंतरिम जमानत पर विचार करने के लिए चुनाव प्रचार मानदंड नहीं होना चाहिए।

मगर पीठ ने कहा कि वह एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के मामले की सुनवाई कर रहा है, जो आदतन अपराधी नहीं है तथा आम चुनाव 5 साल में एक बार आते हैं।


लोक सभा चुनाव के बाकी चरणों में प्रचार के लिए केजरीवाल को 21 दिन के लिए रिहा करते हुए न्यायालय ने कहा कि उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करना होगा।