गत 15 अप्रेल की रात को अचानक जमीन धंसने से करीब 100 फीट गहरा गड्ढा हो गया। इसके दायरे में पक्की डामर रोड का कुछ हिस्सा भी आ गया, जो जमींदोज हो गया है। सहजरासर की इस घटना के कारणों का खुलासा भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अधिकारियों ने मौका देख कर किया है।
बीकानेर/लूणकरनसर : भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन करने से भूमि की कोख तो सूख ही रही है। भविष्य में इसके भयावह परिणाम भूगर्भीय घटनाओं के रूप में भी देखने को मिल सकते हैं। इस खतरे का अलार्म प्रकृति ने सहजरासर गांव की रोही में तीन सप्ताह पहले बजा भी दिया है। गत 15 अप्रेल की रात को अचानक जमीन धंसने से करीब 100 फीट गहरा गड्ढा हो गया। इसके दायरे में पक्की डामर रोड का कुछ हिस्सा भी आ गया, जो जमींदोज हो गया है।
सहजरासर की इस घटना के कारणों का खुलासा भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अधिकारियों ने मौका देख कर किया है। इसमें अत्यधिक जलदोहन को भूमि धंसने का कारण माना है। हालांकि अभी भी जितनी जुबान, उतने कयास वाली स्थिति है। गड्ढे की प्रशासन ने तारबंदी करवा कर छोड़ रखी है। पुलिस नियमित निगरानी कर रही है। वहीं सोशल मीडिया पर इसके वीडियो हर रोज नए कयासों के साथ वायरल हो रहे हैं।
यह हुआ था उस रात
गत 15 अप्रेल की रात करीब तीन बजे लूणकरनसर-ढाणी भोपालाराम से सहजरासर गांव जाने वाली सड़क पर सहजरासर गांव के नजदीक रोही में जगूनाथ के खेत में अचानक जमीन धंस गई। इससे 150 से 200 फीट लम्बा-चौड़ा तथा तकरीबन 90-100 फीट गहरा गड्ढा हो गया। करीब 50-60 फीट तक सड़क भी जमींदोज हो गई। एक-दो दिन में दरारें कुछ और बढरीं। अंदाजन गड्ढा की मोटाई-चौड़ाई इस दौरान बढ़ी है।
जांच में यह तथ्य आया सामने
गत 24 अप्रेल को झालाना डूंगरी जयपुर से भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग की तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए आई। उसने तीन दिन जांच के बाद प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी। उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि जीसीआई ने जमीन धंसने के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में जल के अत्यधिक दोहन को कारण माना है। जांच रिपोर्ट में बताया है कि बरसात की कमी से भूजल रिचार्ज नहीं हुआ। इससे जमीन खोखली हो गई और मिट्टी नीचे चली गई। जीसीआई ने मौसम विभाग, भूजल विभाग, सैटेलाइट समेत कई तरह के साक्ष्य जुटाए हैं। इसके बाद अपनी जांच में पाया कि भूजल रिचार्ज नहीं होने से तथा नीचे की जमीन ज्यादा सख्त नहीं होने से जमीन धंसी। जीसीआई इसे भौगोलिक घटना मान रहा है।
ग्रामीणों की जुबानी…सैकड़ों साल पहले गिरी थी आकाशीय बिजली
ग्रामीणों के मुताबिक, कि इस जगह पर तकरीबन सौ साल पहले आकाशीय बिजली गिरी थी। इसी कारण इस जगह को लेकर आम बोच-चाल में लोग बिजल खाड के नाम से पुकारते हैं। ग्रामीणों की मानें, तो इस जगह पिछले कई साल से एक-दो फीट जगह धीरे-धीरे धंसती आ रही है। इस कारण सड़क भी हर साल क्षतिग्रस्त होती रही है।
कच्चा रास्ता बनाया
उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि सड़क भी जमीन में धंसने से सम्पर्क टूट गया है। मौके पर पंचायत की मदद से पास के खेत से रास्ता बना कर सड़क से जोड़ा गया है। अब बजट मिलने के बाद पुन: गड्ढे का भरवाकर दोबारा सड़क बनवाई जाएगी।
लोगों में कौतूहल कायम
जमीन धंसने के मामले को लेकर लोगों में कौतूहल बना हुआ है। धारा 144 लगाने के बावजूद लोग गड्ढे को देखने के लिए आते जा रहे हैं। लिहाजा पुलिस के जवानों को खासा मशक्कत करनी पड़ रही है।