भारत नहीं छोड़ेगा वॉट्सऐप, कोर्ट में नहीं किया ऐसा कोई दावा - पढें पूरी खबर

6 months ago 126907

व्हाट्सेएप ने बुधवार को दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि अगर उसे मैसेज के एन्क्रिप्शन को ब्रेक के लिए कहा गया तो मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ख़त्म हो जाएगा l अमेरिकी कंपनी मेटा की ओर से पेश होकर वकील तेजस करिया ने कहा कि लोग इस मंच का इस्तेमाल प्राइवेसी की वजह से करते हैं l

क्या भारत में व्हाट्सेएप काम करना छोड़ देगा? क्या कंपनी अपनी सेवाएं हमारे देश में बंद कर देगी? इस तरह की तमाम अटकलें और आशंकाएं पिछले 24 घंटों से सामने रही है l दरअसल, मामले को हवा गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद मिली l

Liberal Bharat भारतवर्ष ने मामले की सच्चाई पता करने के लिए हाईकोर्ट में व्हाट्सेएप की ओर से सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील से बात की तो उन्होंने एक्सक्लूसिव बात करते हुए साफ कहा कि उन्हें अपनी कंपनी की ओर से भारत छोड़ने या एप को बंद करने की बात नहीं कही l बल्कि सुनवाई के दौरान कहा था कि IT कानून का जो नियम 4 ( 2 ) है वो मैसेज के फर्स्ट जैनरेटर को बताने के लिए इनक्रिप्शन ब्रेक करने के लिए कहता है l

व्हाट्सेएप के वकील ने कहा कि अगर उनका एंड टू एंड इनक्रिप्शन ब्रेक हुआ तो व्हाट्सएप के जिस फीचर के लिए लोग व्हाट्स ऐप इस्तेमाल करते हैं वो फीचर ही बेकार हो जाएगा l दो लोगों के बीच की निजता का भी हनन होगा l

 

कोर्ट में कहीं बात Miss Kot की

हमने कभी ये नहीं कहा कि व्हाट्सेएप कभी भारत छोड़कर जाएगा या व्हाट्सेएप बंद हो जाएगा l हमने कहा था कि प्रोडक्ट खराब हो जाएगा l हमारी बात को Miss Kot किया गया l कोर्ट ने भी कहा था कि सभी पक्षों को सुनने के बाद कोई रास्ता निकाला जाएगा और फैसला किया जाएगा l

14 अगस्त को सुनवाई होगी तभी हमें पता चलेगा कि ये रुल रहेगा या हमारा प्रोडक्ट l मामला लंबित है इसलिए हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते l बिजनेस को लेकर कंपनी फैसला ले सकती है l हम केवल कंपनी का पक्ष कोर्ट के सामने रखते हैं l

 

हाईकोर्ट में क्या हुआ?

व्हाट्सेएप ने बुधवार को दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि अगर उसे मैसेज के एन्क्रिप्शन को ब्रेक के लिए कहा गया तो मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ख़त्म हो जाएगा l अमेरिकी कंपनी मेटा की ओर से पेश होकर वकील तेजस करिया ने कहा कि लोग इस मंच का इस्तेमाल इस वजह से करते हैं, क्योंकि इससे गोपनीयता सुनिश्चित होती है और क्योंकि इस पर आदान-प्रदान किए जाने वाले संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं l

करिया ने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ से तेजस ने कहा कि एक मंच के रूप में, हम कह रहे हैं कि अगर हमें एन्क्रिप्शन ब्रेक करने के लिए कहा जाता है, तो व्हाट्सेएप का महत्व ख़त्म हो जाएगा l

 

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट व्हाट्सेएप और फेसबुक (जिसे अब मेटा के नाम से जाना जाता है) द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 4(2) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था l

नियम 4(2) में कहा गया है कि एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ को अपने कंप्यूटर संसाधन पर सूचना के पहले स्रोत की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए, जब इस आशय का आदेश किसी कोर्ट या सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित किया जाता है l

मेटा के वकील तेजस करिया ने बुधवार को कोर्ट को बताया कि इस प्रावधान के तहत व्हाट्सेएप को कई सालों तक लाखों मैसेज को स्टोर करना होगा, जो कि दुनिया में कहीं और मौजूद नहीं है l उन्होंने कहा कि हमें एक पूरी सीरीज रखनी होगी और हमें नहीं पता कि किन संदेशों को डिक्रिप्ट करने के लिए कहा जाएगा l इसका मतलब है कि लाखों संदेशों को कई सालों तक संग्रहीत करना होगा l

मेटा के वकील ने आगे जोर देकर कहा कि चुनौती के तहत नियम मूल सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम से परे है, जो एन्क्रिप्शन को तोड़ने का प्रावधान नहीं करता है l कोर्ट ने मेटा के वकील से पूछा कि क्या दुनिया में कहीं और भी ऐसा ही कानून मौजूद है l क्या इन मामलों को दुनिया में कहीं भी उठाया गया है? आपको दुनिया में कहीं भी जानकारी साझा करने के लिए कभी नहीं कहा गया है? यहां तक कि दक्षिण अमेरिका में भी?

मेटा के वकील तेजस करिया ने जवाब देते हुए नहीं, ब्राज़ील में भी नहीं l सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश कीर्तिमान सिंह ने तर्क दिया कि लोग जानते हैं कि सोशल मीडिया पर क्या हो सकता है और नियम के पीछे का विचार संदेश के स्रोत का पता लगाना है l आखिरकार, संदेशों का पता लगाने के लिए कोई तंत्र होना चाहिए क्योंकि यह समय की ज़रूरत है और वॉट्सऐप ने यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस के सामने कुछ बहुत ही कठिन सवालों का सामना किया है l कोर्ट ने कहा कि संतुलन बनाने की जरूरत है l कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को IT नियम 2021 के अलग-अलग प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ करेगी l