मेरठ के मिडिल क्लास परिवार में पैदा हुए विदित आत्रे और उनके दोस्त संजीव बर्नवाल ने मिलकर यूनिकॉर्न कंपनी बना दी। शुरुआत में हालांकि थोड़ी परेशानी हुई, मगर सफलता मिली और ऐसी मिली कि पूरे भारत में डंका बज गया।
मेरठ (उत्तर प्रदेश) के मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुए विदित आत्रे (Vidit Aatrey) का एडमिशन जब दिल्ली के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी (IIT) में हुआ तो परिवार के लोगों को उन पर गर्व था। मगर यह तो केवल शुरुआत थी, अब न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा स्टेट उन पर गर्व करता है। अपने दोस्त संजीव बर्नवाल (Sanjeev Barnwal) के साथ मिलकर विदित ने एक स्टार्टअप शुरू करके उसे यूनिकॉर्न क्लब में ला खड़ा किया है। यूनिकॉर्न मतलब 1 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन वाली कंपनी। नाम है मीशो (Meesho)।
विदित आत्रे ने आईआईटी में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में पढ़ाई की और बाद में आईटीसी (ITC) में काम शुरू किया। आईटीसी के बाद 2015 में विदित आत्रे इनमोबी (Inmobi) की स्ट्रैटेजी टीम में शामिल हुए। उनके दोस्त संजीव बर्नवाल ने इनमोबी में एक जॉब के लिए अप्लाई किया था, मगर विदित आत्रे ने उन्हें एक विकल्प सुझाया। उन्होंने संजीव से कहा कि जॉब करने से बेहतर है कि एक स्टार्टअप शुरू किया जाए। संजीव राजी हुए तो विदित ने भी नौकरी छोड़ दी।
फैशनियर से मीशो तक…
दोनों ने काफी माथा-पच्ची करने के बाद एक ऐसा प्लेटफार्म बनाने के बारे में सोचा, जो छोटे दुकानदारों को ऑनलाइन ले आए। ऐसा प्रोडक्ट कि लोगों को फैशन संबंधी चीजों को खरीदने के लिए स्थानीय दुकानों पर न जाना पड़े। इसी काम के लिए 2015 में उन्होंने फैशनियर (FASHNEAR) शुरू किया। मतलब फैशन नियर बाय (Fashion Near By)।
इसके तहत वे रोजाना एक शॉप को टारगेट करते थे। ट्राय एंड बाय मॉडल के तहत वे दुकान पर जाते, एक प्रॉडक्ट उठाते और ग्राहक को डिलीवर करते। लगभग 4 महीनों बाद उन्हें समझ में आया कि इस मॉडल में एक दिक्कत है। दिक्कत ये कि ग्राहक विकल्पों की एक बड़ी रेंज चाहते थे। और इसे लोकल मार्केट से पूरा नहीं किया जा सकता था। 2016 में उन्होंने अपने बिजनेस मॉडल में जरूरी बदलाव किए और नाम भी बदल दिया। इस बार नाम रखा गया मीशो (Meesho)
मीशो का मतलब है मेरी शॉप (Meri Shop)। इसे एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाया गया, जो उन विक्रेताओं की समस्या का हल करेगा, जो वॉट्सऐप के जरिए सेल करने की कोशिश करते हैं। मीशो ने सप्लायर (Supplier) और रिसेलर (Resellers) के बीच की खाई को पाटा। सप्लायर अब मीशो पर ही अपने प्रोडक्ट दिखा सकते थे और रिसेलर अपने ग्राहकों को बेचने के लिए यहां से प्रॉडक्ट चुन सकते थे। मीशो ने पहले 6 महीनों में 10,000 दुकानों को ऑनबोर्ड कर लिया। इसके बाद कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कैसे मिली पहली फंडिंग, और फिर…
जुलाई 2016 में कंपनी को वाई (Y) कोयम्बटूर प्रोग्राम के तहत तीन भारतीय स्टार्टअप्स में चुना गया और 2 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली। कंपनी ने पाया कि 50 प्रतिशत से अधिक ग्राहक घर में रहने वाली माताएं हैं, तो मीशो ने उन्हें अपना बिजनेस शुरू करने के लिए साहस दिया। वे कोई भी माल रखे बिना अपना बिजनेस कर सकती थीं। इस स्टेप के साथ कंपनी की साख और बढ़ी। साख बढ़ने पर फंडिंग भी बढ़ने लगी।अक्टूबर 2017 में मीशो ने SAIF पार्टनर से 19.4 करोड़ रुपये की फंडिंग पाई। मार्केटिंग पर एक भी पैसा खर्च किए बिना मीशो ने 68.54 लाख का बिजनेस बना दिया। हर ट्रांजेक्शन पर 10-20 प्रतिशत का कमीशन दिया जाता था। 2018 में कंपनी ने 10 लाख विक्रेताओं को जोड़ लिया। इस सफलता के बाद 360 करोड़ की फंडिंग और मिली। मीशो ने 2 लाख से अधिक मंथली यूजर्स के आंकड़े को छुआ और महीने के 12 लाख ऑर्डर आए। तब जाकर बड़े बड़े निवेशकों की नजरें भी मीशो की तरफ गईं। इस पर फेसबकु (मेटा) और नैस्पर्स (Naspers) ने 893.8 करोड़ की फंडिंग दी।
अनब्रांडेड प्रोडक्ट्स पर टिका बिजनेस
विदित आत्रे और संजीव बर्नवाल की नजरें भारतीय बाजार पर टिकी थीं। दोनों ने पाया कि भारत के लोग काफी अनब्रांडेड प्रोडक्ट्स यूज करते हैं, तो क्यों न कंपनी को ई-कॉमर्स कंपनी बना दिया जाए, जहां पर आम ग्राहक सीधे अपने लिए सामान खरीद सके। फ्लिपकार्ट और अमेज़न भी इसी मॉडल पर काम करते हैं। तो मीशो ने सीधे ग्राहक के लिए भी अपने द्वार खोल दिए। मीशो पर अब फैशन, लाइफस्टाइल, ब्यूटी, पर्सनल केयर और ग्रॉसरी तक का सारा सामान मिल जाता है।
ई-कॉम की शुरुआत के बाद मीशो के यूजर्स की संख्या 55.39 मिलियन (5।5 करोड़) तक पहुंच गई। महीने के 19.6 मिलियन (1।9 करोड़) ऑर्डर आने लगे। इस पर दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में से एक सॉफ्टबैंक ने भी अपना पैसा डाल दिया। मीशो को अब 2,220 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली। इसी के साथ कंपनी की वैल्यूएशन इतनी हो गई कि वह भी यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई।
विदित आत्रे और संजीव बर्नवाल दोनों ग्राहक को भगवान बताते हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि ग्राहकों से बात करते रहना चाहिए और उनकी समस्याओं और सुझावों को सुनना चाहिए। कहा जाता है कि मीशो में हर कर्मचारी को ग्राहकों से बात करना अनिवार्य किया गया है। यह कंपनी की कोर वैल्यूज़ (Core Values) में से एक है।